Aniket 30 Mar 2023 कहानियाँ हास्य-व्यंग # Aadarsh Shiksha Institute #Delhi Aadarsh Nagar 20232 0 Hindi :: हिंदी
हठ कर बैठा चांद एक दिन माता से यह बोला, सिलवा दो मां मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला। सन-सन चलती हवा रात भर जाड़े में मरता हूं, ठिठुर-ठिठुर कर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूं। आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का, न हो अगर, तो ला दो कुर्ता ही कोई भाड़े का। बच्चे की सुन बात कहा माता ने, अरे सलोने! कुशल करे भगवान, लगे मत तुझको जादू टोने। जाड़े की तो बात ठीक है पर मैं तो डरती हूं, एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूं। कभी एक अंगुल भर चौड़ा कभी एक फुट मोटा, बड़ा किसी दिन हो जाता है और किसी दिन छोटा। घटता बढ़ता रोज किसी दिन ऐसा भी करता है, नहीं किसी की भी आंखों को दिखलाई पड़ता है। अब तू ही यह बता नाप तेरा किस रोज लिवायें? सी दें एक झिंगोला जो हर रोज बदन में आये?