Sharda prasad 25 May 2023 कविताएँ बाल-साहित्य #कुमार विश्वास 5167 0 Hindi :: हिंदी
मन मंदिर महका दो, मेरा बचपन लौटा दो! शामे जिंदगी की वो यादें, मैने देखा आप भी जानो! दमक रहा ऐसे मानो , सोने सा बचपना फिक्र ! फिक्र नही कल की न किसी से सिकवा गिला !! मित्रो की जब टोली निकले , क्या खाये ,बिन खाये ! बडे चाव से ऐसे चलते मानो जन्ग जीत कर आये !! मन मंदिर महका दो, मेरा बचपन लौटा दो!