मोती लाल साहु 30 Mar 2023 शायरी समाजिक जिंदगी की राह में जो भी द:ख-कष्ट आते हैं,ईश्वर की कृपा से रास्ते साफ होते हैं। ताकि उसके दरबार तक जीव पहुंच सके, स्वीकार करने की जरूरत है। 8545 0 Hindi :: हिंदी
खिदमत में अर्ज है- ऐ तो खुदा के प्यारे-दरबान थे, मेरे खिदमत में कांटे चुभाते थे! पूरे राह ताकि- रफ्ता-रफ्ता-रास्ता देखता चलूं , अब तेरे दरगाह की खुशबू आ रही है! अपना फर्ज सफर-ए-मंजिल कुबूल था, वरना मैं दोजख में ही था अब तक! अब तेरे दरगाह की खुशबू आ रही है.... -मोती