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वर्षा ऋतु

akhilesh Shrivastava 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक वर्षा ऋतु का आगमन बहुत ही सुहाना होता है 59354 0 Hindi :: हिंदी

** वर्षा ऋतु **

वर्षा की ऋतु आ गई है 
काली बदरी छा गई है ।।
ठंडी ठंडी हवा बह रही 
सबके मन को लुभा रही है।।

अपने पानी की बूंदों से
प्यास धरा की बुझा रही है।
धरती को ये चूम रही है
मस्ती से ये झूम रही है ।।

तेज हवा के झोकों से ये 
खेल अनोखा खेल रही है।
तपती धरती के आंचल को 
शीतल जल से सींच रही है।।

पेड़ों की डाली आपस में
एक दूजे से लिपट रही हैं
पंखों को फैलाकर पक्षी
करतल ध्वनि कर झूम रहे हैं।।

बिजली अपनी तेज़ चमक से
देखो सब को डरा रही है ।
गर्मी से झुलसे पेड़ों की
वर्षा प्यास बुझा रही है।

देखो छोटे छोटे बच्चे
वर्षा ऋतु में भीग रहे हैं।
पानी में छप छपकर बच्चे
अपनी धुन में खेल रहे हैं।।

सूखे खेतों की मिट्टी से
महक सुहानी फैल रही है।
देखकर काले -काले बादल 
आंखें किसान की चमक उठी हैं।।

पतली सूखी नदियों की धारा
आंचल अपना फैला रही है।
खुशी में झूम -झूमकर लहरें
अपना नृत्य दिखा रही हैं ।।
 
वर्षा की ऋतु आ गई है...

रचियता --अखिलेश श्रीवास्तव            
               एडवोकेट जबलपुर

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