मर मिट जायेंगे देश और मातृभूमि के लिए
खूब खिलौने खेले बचपन में,
अब हाथों में बंदूक थी,,
भारत मां की रक्षा करने के लिए
दिल में एकभूख थी,,
मर जाएंगे मिट जाएंगे,
गलत नजर से हमारी मां को जो देखेगा,,
कर देंगे छल्ली जो भारत देश को लूटेगा,
मां की लोरी छोड़ के आए,
दूजी की रक्षा करने आए,,
एक ने हमें जन्म दिया,
दूजी ने अपनी गोद में हैं पाला,,
उस मां का कर्ज चुकाना है,
अंकुर है इस धरती का,
भारत देश के वासी हैं,,
सर ना झुकने देंगे हम,
अपनी मातृभूमि का,,
शान से झंडा फहराएंगे,
अपनी भारत माता का।
लेखिका चंचल चौहान