मोती लाल साहु 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक धरती में ऋतुऐं मौसम अनुरूप वातावरण को पूर्ण और समुचित जीवन उपयोगी प्रकृति के हित में संतुलन बनायें रखतीं हैं, प्रकृति का श्रृंगार कर स्वर्ग से सुंदर बनातीं हैं।धरती है ही स्वर्ग!! 8010 0 Hindi :: हिंदी
उत्सव है यहां हर दिन, ऋतु करती श्रृंगार। ऋतुराज बसंत बहार, करती नव पल्लवित।। ग्रीष्म भर्ती ऊर्जा स्रोत, लाती वर्षा यौवन। त्योहारें जश्नें शरद, हेमंत है कंपत।। शिशिर लाती है अमृत, छ: ऋतु हैं मनभावन। जश्न में हर दिल ए बाग, मांँ धरा है जन्नत।। मोती-