कविता पेटशाली 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग 67723 0 Hindi :: हिंदी
ये लाइन आजकल के कवियों के लिए की कवियों के इस मेले में ,न जाने कितने झमेले हैं,। मैं,लिखती हूँ ,मिटाती हूँ,।मगर ,इक बात पे आती हूँ,। वाहवाहि हो थोड़ा सा ,ये शब्द माँ ,सुनाते हैं ,। मगर अगले ही पल, में, ये पंकि्त महबूबा गाते है,। कि गाते गाते ये तो सबकुछ भूल जाते है,।। 😀😀😋कविता पेटशाली 😋😀😀
Writing poem ~~most like than Hindi shahitya🖋️📒💝🌺🌺🌺🌺🌺🌺shahitya lover ,...