Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य कठिन मार्ग 21109 0 Hindi :: हिंदी
डर मत मज़धार से तू, तैर के उसे पार कर जीत होगा हौसले कि खुद को बुलंद कर तुम ही तस्कार हो और चमत्कार भी मत मांग उधर रोसनी रात कि अंधकार से झाक के तो देख एक बार मन के अंधकार में तू विजेता तू सुजीता तू ही अवतार है हर्ष में शालीनता का तू एक परमान बन मर मर के रोज़ है जीता एक बार तू मर जा कुछ यैसा कर जा तू ,खुद गुम होने से पहले एक मिसाल और भी है, कि अब विशाल बन अभी करने को बहुत ,और गम भी जुदा जुदा सा तोड़ दे जंजीर मन का जो दिल के गुलाम है