Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य जज्बात छोड आया हूँ 12281 0 Hindi :: हिंदी
तु खड़की पे नही फिर भी गुलाब फेक आया हूँ ये दिल किस वेशर्मी पे उतर आया है जिधर जाऊ उधर तु ही तु दिखता हैं घर के दरबाजे पे छत पे गली के नुकड पे और तो और शराब के दुकान पे भी इन सभी जगहो पे तेरे लिए संदेश छोड आया हूँ मैं जानता हूँ तेरा दिल मेरे लिए नहीं धड़कता फिर भी तेरे लिए कुछ मीठी कुछ खट्टी और थोड़ी चटपटी जज्बात छोड आया हूँ