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ईश्वर का स्वरूप

SANTOSH KUMAR BARGORIA 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक हम भले ही ईश्वर पर आस्था रखे उनकी पूजा अर्चना करे पर यदि आपके माता पिता आपसे आहत है तो तो फिर आप भले चारो धाम की यात्रा करले सब व्यर्थ और निरर्थक है क्योंकि जिस भगवान को ढूंढने के लिए हम मंदिर मस्जिद घूमते हैं वो तो हमारे घर पर ही हमारे माता पिता के रूप में विद्यमान है । 39926 0 Hindi :: हिंदी

भले ये बात लगे अटपटी तुम्हें, 
पर सोलह आना ये सत्य है ।
हम जिसे ढूँढ रहे मंदिर मस्जिद, 
बसे वो मात पिता के चरण रज है ।।

हर जगह उपस्थित नहीं हो सकता खुदा , 
इसलिए विद्यमान पिता रूप में परमेश्वर है ।
माता के रूप में स्वयं बसी, 
मॉ जगदंबा हर घर में है ।।

गर मात पिता हो तुमसे आहत, 
तो फिर पाप के भागीदार हो तुम ।
भले तुम चारो धाम की करलो यात्रा, 
सब व्यर्थ और निरर्थक है ।।

नही मात पिता से बड़ा किसी, 
वैभव लक्ष्मी का दिल है ।
जिस घर में कद्र हो इनकी, 
वो घर नहीं फिर मंदिर है ।।

       🙏धन्यवाद🙏
      
                                 संतोष कुमार बरगोरिया 
                               --------------------------------
                                 ( साधारण जनमानस  )

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