MAHESH 30 Mar 2023 कविताएँ राजनितिक राजनीतिक व्यंग 4073 0 Hindi :: हिंदी
स्वरचित रचना--- हो रहा यह कैसा विकास..................। संदर्भ---राजनीतिक व्यंग हो रहा यह कैसा विकास ? न कोई ध्यान दे रहा है। दे रहा कोई लैपटॉप, तो दे रहा कोई वोटरशिप, दे रहा मुफ्त कोई एलपीजी, तो कोई मकान दे रहा है। हो रहा यह कैसा विकास ?....................................। पढ़ाई मुफ्त, दवाई मुफ्त, कमाई मुफ्त का ए खेल। कहीं बेपटरी न कर दे, इंसानी जिंदगी की रेल।। बैठकर बंद कमरे में, बनाते कल की योजना। सनातन संस्कृति से छेड़छाड़, हर इक नादान कर रहा है। हो रहा यह कैसा विकास ?.....................................। गलत हो या सही प्यारे, बिना कुछ जांचे- पड़तालें, मूंदकर आंखें सब, मानिन्द का गुणगान कर रहे हैं। एक मुंह बंद कर बैठा, एक आंखें किए हैं बंद, एक बापू का बंदर बंद, दोनों कान कर रहा है। हो रहा यह कैसा विकास ?.....................................। समझ में कुछ नहीं आता, कि क्या होगा इस देश का। बना है राष्ट्र आज ए, देखिए, अंधेर नगरी सा, जहां चौपट राजा है, औ टके सेर सामान बिक रहा है। हो रहा यह कैसा विकास ?...........। ~✍️महेश