Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद गरीबी 39462 0 Hindi :: हिंदी
पाप है तू स्राप है तू एक बदनुमा दाग है तू कुलक्षणी तु दुराचारनी विलक्षण तु दुष्कर्मी कुकर्मी तु भूखमरनी तु धरती पे लांछन तू . भुखो के निबालो मे गरिबो के थाली में इज़ज़्त तु लूटबाता बेटी तु बीकवा देती है . खुन के आसू रुलाता गरीबी बदनुमा दागहैं तू पापी तू तू हि पापनी . तु हि तु बस तू ही तु अपराध कराए. कभी हशाये कभी रूलाये कभी कभी तो खूब बालखाये कभी तडपे तो कभी तडपाये कभी सजे तो कभी सजाये कभी कभी तो खूब भाव खाये कभी आखों मे शुरमा लगाये तो कभी आखों से निर बहाये कभी होठो से प्यास बुझाये तो कभी संशों मे धुल जाये कभी ज़बातों से खेले तो कभी कभी सिने से लग जाये