Kalindri pal 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 6327 0 Hindi :: हिंदी
एक पंडित की कहानी हम सुनाते हैं । अपनी जुबानी हम तुमको बताते हैं । पंडित तो थे लालची उन्हें न कुछ आता हैं। पंडित का बेटा पंडिताव ही कराता हैं। शादी और बारात में वह रोज-रोज जाता हैं। वहाँ से तो मिठाई रसगुल्ले बांध लाता हैं। पंडित ने मिठाई रसगुल्ला जब खाया हैं। अबतो पंडित के मुंह में और पानी आया हैं। बेटे को तो घर रोक पंडिताव करने आए हैं। मिठाई-रसगुल्ला को तो मन में बसाए हैं। पहुंचे जब शादी में पंडिताव वो कराते हैं । मंत्र के तो बदले मिठाई रसगुल्ला गाते हैं। जब पंडित का मंत्र जनता ने सुना है । थप्पड़ और घूँसा सब उनको जमाते हैं ।
I am kalindri pal *betul*. I am from village and post nighuwamau block Machhrehata district Sitapur...