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*एक कण*

akhilesh Shrivastava 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक इस कविता की रचना मैंने कोविड 19 करोना वायरस के समय विश्व एवं भारत मैं फैली भयावहता को लिखा है 77277 0 Hindi :: हिंदी

*एक कण*

एक वायरस ने दुनिया में 
कितना भय फैलाया है
कोविड 19 नाम से
अपना परचम फैलाया है ।

फ्रांस चीन इटली को भी
आगोश में अपने लाया है
विकसित देश अमेरिका 
को भी इसने नाच नचाया है ।।

क्या ! अमीर और क्या गरीब
सब पर इसका साया है
कोई नहीं बचा है इससे
जो बाहुपाश में आया है।

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई 
सब में आतंक मचाया है
झुग्गी बंगलों के वाशिंदों को
भी ग्रास बनाया है।

इतने छोटे से *एक कण* ने
सबको घर में रुकवाया है
रुक गई है दुनिया की चाल 
ऐसा ब्रेक लगाया है।

ऊंच नीच न देखा इसने 
कहर सब पर बरसाया है
मानव के घमंड को इसने
नत मस्तक करवाया है।

डाक्टरों वैज्ञानिकों को  भी
इसका भेद समझ नहीं आया है
इंसा की औकात है कितनी
आज समझ में आया है।।

रचयिता ---अखिलेश श्रीवास्तव
               जबलपुर

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