Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक अभीष्ट सिद्धि 15870 0 Hindi :: हिंदी
अनुराग प्रेम भक्ति लिए शहर शहर भ्रमण करता हूँ करुणा त्याग परित्याग किए जन जन को राग सुनाता हूँ सह सहमति अभीष्ट सिद्धि से जो गरीबी को छल रहे उसी मुल्क के प्रजा को मैं गलत सही का बोध करता हूँ जो भाई भाई को बाट रहा बिपति में बिपरीत विषये सूचिलिख रहा जो मेरी धरती माँ को लहुं लुहान कर रहा मैं ऐसे दुष्ट दुष्कर्मियों को कुछ जख्म दिखाना चाहता हूँ