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आइना

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Ambedkarnagar poetry#Rambriksh Kavita# Aina Kavita rambriksh#samajik kavita 39988 0 Hindi :: हिंदी

कविता-आइना


खोजता है किसको क्षण क्षण
ढूढ़ता है किसको पल पल
          
        बह रही गर आंधी दुःख की
        कष्ट का कंकड़ थपेड़ा
        छा रही है मंजिल पथ पर
        धूल धूसितमय अंधेरा
        मानो मन का हीलता जड़ 
        टूटते हों स्वप्न सारा
        कांपते हों पांव थर थर
        न कोई अपना सहारा
        लगता क्या कोई आयेगा
        खोलेगा सुख का पिटारा
        किसको क्या इतना पड़ा है
        दूर कर दे दुःख तुम्हारा
        
खोजता है किसको क्षण क्षण
ढूढ़ता है किसको पल पल। 
         
       दूर होगी दु:ख की आंधी
       धूल धूसितमय अंधेरा
       मिट जायेगी रात काली
       होगा अरुनमय सबेरा
       देख लो पहले जिसे तुम
       ढूंढ़ते संसार सारा
       है कौन पहचान ले तू
       वह निडर निर्भीक न्यारा
       मोहिनी मुस्कान लेकर
       साफ कर ले धूल सारा
       आइना में देख ले फिर
       है कौन इंसान प्यारा

खोजता है किसको क्षण क्षण
ढूढ़ता है किसको पल पल। 


         आइना है मन का मंथन
         है दिखाता सत्य सारा
         जो भटकता क्षण क्षण पल पल
         है बताता राज सारा
         खुद में खुद ही खुद को देखो
         है आइना में छवि तुम्हारा
         बांध ले अब खुद की हिम्मत
         है कौन जो दे सहारा। 

 खोजता है किसको क्षण क्षण
ढूढ़ता है किसको पल पल। 


रचनाकार रामवृक्ष, अम्बेडकरनगर। 

       

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