Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #रामबृक्ष कविता#रामबृक्ष अम्बेडकरनगर#रामबृक्षकविता चादर#प्रेमपर कविता 45332 1 5 Hindi :: हिंदी
कविता-चादर ठिठुती ठंड में कुहासे के बीच ओसों से तर कपकपाती बदन भीनी चादर के बीच दो नन्हें बच्चों को सीने से लगाए लिए बैठी कांप रही थी। चादर की गर्मी किसी रजाई से कम कहां थी? घुटनों के बल दुपके खींचते अपनी ओर मां चादर को नाप रही थी। सुना है पांव फैलाने की बात चादर से बाहर पर यहां तो खींचा तानी से मां बच्चों को डांट रही थी। देखा है मजारों पर चढ़ाते चादर बहुतों को किन्तु नंगे भूखे ठिठुरते इंसानों को कौन ओढ़ाता चादर जिसे एक मां बच्चों के लिए मांग रही थी। क्या फर्क पड़ता है फटी है या पुरानी ममता की चादर जिसमें दुपके सहमें बच्चे मां के साथ महसूस कर रहे हैं महफूज़ खुद को और मां एक एक दिन अपनी जीवन काट रही है। रचनाकार- रामवृक्ष, अम्बेडकरनगर
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...