Aniket 30 Mar 2023 कहानियाँ हास्य-व्यंग 17927 0 Hindi :: हिंदी
एक बार एक गांव में एक रघु नामक व्यक्ति रहता था। उसके पास एक बैलगाड़ी थी, जिसमे वह सामान लादकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाया करता था। एक दिन वह खूब सारा सामान अपनी बैलगाड़ी में भरकर बाजार जा रहा था। बैलगाड़ी उस दिन बहुत भारी हो गयी थी। रघु के लिए भी बैलों को हांकना मुश्किल हो रहा था। थोड़ी दूर चलने पर रघु की बैलगाड़ी के बैलों का संतुलन बिगड़ गया और बैलगाड़ी पलट गई। बैलगाड़ी के पलट जाने पर रघु किसी तरह बाहर निकला, और बैलगाड़ी को सीधा करने का प्रयत्न करने लगा। वहीं रास्ते में एक राहगीर भी पेड़ की छांव में बैठा भोजन कर रहा था। रघु उसकी ओर आशा भरी नजरों से देख रहा था। तो उसने रघु को दूर से आवाज लगाई और बोला, ” ओ भाई! आप यहाँ आकर मेरे साथ पहले भोजन कर लो और फिर हम दोनो साथ मिलकर आपकी बैलगाड़ी को सीधा करेंगे।” इस पर रघु बोला, ” नहीं भाई! मेरा मित्र बुरा मान जाएगा। मुझे यह जल्द से जल्द उठानी होगी।” तब वह राहगीर दुबारा बोला, ” भाई कुछ नहीं होगा। मैं तुम्हारी सहायता करूँगा तो तुम्हारा कार्य जल्दी हो जाएगा और तुम्हारा दोस्त भी बुरा नहीं मानेगा।” रघु असमंजस में था। लेकिन वह अकेले यह कार्य नहीं कर पा रहा था तो वह राहगीर के पास चला गया और उसके साथ मिलकर दबाकर खाना खाया। अब दोनो मिलकर बैलगाड़ी के पास आए। तब फिर से रघु बोला, जल्दी करो भाई, मेरा दोस्त बुरा मान जाएगा। राहगीर ने रघु से पूछा, ” वैसे तुम्हारा दोस्त है कहाँ?” तब रघु बोला, “बैलगाड़ी के नीचे।” सीख l हमेशा अपनी बात को साफ और सीधे ढंग से करना चाहिए। नहीं तो उसके अलग अर्थ निकल जाते हैं।” लेखिका : वीना शर्मा By : आदर्श शिक्षा इंस्टीट्यूट Note : अगर आपको यह है लेख पसंद आया हो तो प्यारा सा कमेंट और हमें फॉलो करना ना भूलें हम हर रोज आप तक एक प्यारा सा लेख हर रोज पहुंचाएंगे धन्यवाद