Karan Singh 30 Mar 2023 कहानियाँ धार्मिक Ram/जय श्री राम/धार्मिक महत्व/सपनों का सौदागर.... करण सिंह/ Karan Singh/google/सनातन धर्म/स्टोरी/shayari/शायरी/संत रविदास/Ram/जय श्री राम/धार्मिक महत्व/सपनों का सौदागर.... करण सिंह/ Karan Singh/google/सनातन धर्म/स्टोरी/shayari/शायरी/संत रविदास/*🌳🦚प्रेरक कहानी🦚🌳* *💐जमी हुई नदी💐* 👌सपनों का सौदागर....करण सिंह👌/जमी हुई नदी/*प्रेरक कहानी* 👇👇👇 *"पडोसी......* 💐प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर..... करण सिंह💐/पड़ोसी/*🌳🦚प्रेरक कहानी🦚🌳* *💐💐अनोखी साइकिल रेस💐💐* #प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर......करण सिंह#/अनोखी साइकिल रेस/*प्रेरणास्पद कहानी..✍🏻* *काबिलियत की पहचान..* 💐सपनों का सौदागर.......करण सिंह💐/काबिलियत की पहचान/ ●प्रेरक कहानी● *झूठा अभिमान* 💐प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर......करण सिंह💐/झूठा अभिमान/*प्रेरक कहानी* *'स्टील का डब्बा'* 💐सपनों का सौदागर.......करण सिंह💐/स्टील का डिब्बा/*उत्पत्ति एकादशी व्रत कथा:-* 💐प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर......करण सिंह💐/एकादशी व्रत कथा/*प्रेरक कहानी* *पिता पुत्र के प्यार का अंतर* 💐सपनों का सौदागर......करण सिंह💐/पिता पुत्र के प्यार का अंतर/*प्रेरणास्पद कथाएं..✍🏻* 💐*"संसार और सुख"...*💐 👌प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह✍🏻*/संसार और सुख/ 29622 0 Hindi :: हिंदी
★★★★★☆★★★★★★★★★★★★☆★ *प्रेरणास्पद कथाएं..✍🏻* 💐*"संसार और सुख"...*💐 👌प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह✍🏻* ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ *अपने समय के एक प्रतापी और प्रजा पालक महाराज संसार से उपराम होकर, राज्य युवराज को सौंप बन जा रहे थे,,, रास्ते में उन्हें एक तेजस्वी वृद्ध मिले,,, राजा ने उन्हें प्रणाम किया ,,,,तो वृद्ध ने हंसते हुए पूछा--- राजन आज आप बिना तामझाम, हाथी, रथ, सेवक, सुरक्षा, सैनिकों के कहां जा रहे हैं,,,,?* राजा ने उत्तर दिया--- मैं संसार छोड़कर जा रहा हूं,, अब बहुत हो गया-- बस,,, वृद्ध ने फिर पूछा--- राजन क्या आप का संकल्प दृढ़ और निश्चय पक्का है ,,,,,? क्योंकि मेरे अनुभव से लोग किसी उत्तेजना में, क्रोध में, अहंकार में किसी बड़ी हानि या स्वजन की मृत्यु के कारण,, संसार से ऊब कर उसे छोड़ने का निर्णय तो ले लेते हैं,,, परंतु संसार छोड़ते नहीं,,,, या तो वे अपने पुराने परवेज में लौट आते हैं,, या जहां रहते हैं--- वह चाहे भीषण वन, शमशान , बीहड़ या एकांत ही क्यों न हो,,, फिर वहां संसार निर्मित कर लेते हैं--- मन को समझा लेते हैं-- खुद को धोखा देते हैं,,,,, ★★★★★☆★★★★★★★★★★★★☆★ *प्रेरणास्पद कथाएं..✍🏻* 💐*"संसार और सुख"...*💐 👌प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह✍🏻* ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ *इस कथन के बाद सहसा राजा को यह जानने की रुचि जागृत हुई,,, कि इतने कटु पर यथार्थता से परिपूर्ण और स्पष्ट वादिता से युक्त , यह वृद्ध सज्जन कौन है,,,,,? राजा ने विनम्रता से पूछा---- महोदय यदि आप अन्यथा ना लें तो मुझे अपना परिचय देकर कृतार्थ करे।* वृद्ध ने फिर सहास्य उत्तर दिया----राजन् मैं वही संसार हूं जिसे तुम छोड़े जा रहे हो,,, राजा ने उन्हें पुनः प्रणाम किया-- और निश्छल ह्दय से पूछा---- महात्मा कृपा कर आप मेरी एक बड़ी पुरानी जिज्ञासा का उत्तर देने की कृपा करें,,,,? *महात्मा! मैंने सुख प्राप्त करने हेतु कुआं खुदवा कर पुण्य लाभ की आशा रखी,, मैंने हजारों कुएं बावड़ी सरोवर बनवाए,, कठिन स्थानों के लिए छायादार मार्ग बनवाए,, कई यज्ञ अनुष्ठान व्रत किए,, मैंने बहुत से पुण्य कर्म किए,,, पर इसके बाद भी मुझे " सुख " नहीं मिला ,,,,, मेरे प्रयत्न और पुरुषार्थ में क्या कमी रह गई,,,,,* ★★★★★☆★★★★★★★★★★★★☆★ *प्रेरणास्पद कथाएं..✍🏻* 💐*"संसार और सुख"...*💐 👌प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह✍🏻* ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ प्रश्न सुनकर,,, संसार रूपी वृद्ध ने बड़े स्नेह से राजा का हाथ पकड़ा और पास के ही एक करील के वृक्ष के नीचे जाकर एक लंबी सांस लेकर करुणामई दृष्टि से राजा को देख कर उत्तर दिया---- राजन यह प्रश्न कठिन ही नहीं जटिल भी है ,,,,और कालजई भी,,,, शायद जब से सृष्टि हुई है,, संसार बना है तब से सभी व्यक्तियों के मन में जीवन के किसी न किसी समय यह प्रश्न जरूर उठता है,,,, *कि इतने प्रत्यन, पुरुषार्थ, परिश्रम के बाद भी उन्हें " सुख "क्यों नहीं मिला,,,,?* राजन ! चूंकि तुम संसार को छोड़ने का संकल्प ले चुके हो,, अतः मैं तुम्हें एक गोपनीय सत्य बतलाता हूं,,,, जैसे करील के झाड़ का प्राकृतिक नियम है,, कि इसमें से कांटे झड़ते हैं,,--- तुम दशकों इसके नीचे बैठे रहो, प्रार्थना यज्ञ पुरुषार्थ परिश्रम सब करो,,, किंतु सब व्यर्थ--- इसमें से "मौलश्री" वृक्ष की तरफ फूल कभी न झरेगे। *ऐसे ही त्रिकाल सत्य तो यह है,,, कि मेरे पास सुख है ही नहीं,,,, तो मैं किसी को कहां से दूं,,,,, जैसे करील से फ़ूल नहीं झड़ते,,,, वैसे ही संसार में सुख नहीं हो सकता।* सुख तो प्रारब्ध के आधीन है,,,, सत्कर्म करते रहना ही अपना मुख्य कर्तव्य समझना चाहिए,,,, राजा को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया, अब कुछ जानने को शेष न था--- ★★★★★☆★★★★★★★★★★★★☆★ *प्रेरणास्पद कथाएं..✍🏻* 💐*"संसार और सुख"...*💐 👌प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह✍🏻* ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ 💐शिक्षा....... *वास्तविक सुख तो भगवान का आश्रय लेकर, संसार को देवाधिदेव में समझ कर, अनासक्त भाव से वैसा ही बर्ताव करने में है और कोई दूसरा रास्ता नहीं है----* 🕉️🌞🔥🔱🐚🔔🌷 ★★★★★☆★★★★★★★★★★★★☆★ *प्रेरणास्पद कथाएं..✍🏻* 💐*"संसार और सुख"...*💐 👌प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह✍🏻* ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★