मोती लाल साहु 30 Mar 2023 गीत समाजिक ये दरिया कल-कल बहती। 6740 0 Hindi :: हिंदी
ये दरिया कल-कल बहती! बादलों से झरते, रिमझिम फुहारें। दिल के साज छेड़ती, ये दरिया कल-कल बहती।। ये मौसम बहारों का, और ये फिजाएं। पहाड़ों को चूमती, ये दरिया कल-कल बहती।। इन वादियों में ये खेलती, कोई गीत-गाती। दिल में उतरती, ये दरिया कल-कल बहती।। -मोती