मोती लाल साहु 30 Mar 2023 गीत समाजिक उड़ रहे हैं ये मन पंछी बसंती हवा के संग-संग, ढूंढ रहे हैं इन बहारों में कोई अपना हो परदेसी। 7535 0 Hindi :: हिंदी
उड़ रहे हैं ये मन पंछी, बसंती हवा के संग-संग! उड़ रहे हैं ये मन पंछी- बसंती हवा के संग-संग, खेतों में लहराती खेलती सरसों के इन फूलों से मह़क जो आ रही है- पीले फूलों से सजी, सखियों के गजरे से उड़ रहे हैं ये मन पंछी बसंती हवा के संग-संग- ढूंढ रहे हैं इन बहारों में, कोई अपना हो परदेसी उड़ रहे हैं ये मन पंछी बसंती हवा के संग-संग, उड़ रहे हैं ये मन पंछी! -मोती