पीने दे
मत रोक मुझे तू पीने दे
कुछ दिन और जीने दे.
मत रोक मुझे तू पीने दे.
इतनी पिला दे मुझको साक़ी.
ग़म बचे न दिल में बाकी.
ग़म को रुख़सत होने दे.
मत रोक मुझे तू पीने दे ंंंंंंंंंंं.
काटे नहीं कटती.
ग़मे ज़िंदगी की ये राते काली.
तेरे जाम की साक़ी बात निराली.
हर सुबह दिवाली हर शाम दिवाली.
इस ग़मे अंधियारे में दीपक जलने दे
मत रोक मुझे तू पीने दे ंंंंंंंंं.
मत कह साक़ी इसे तू ज़हर का प्याला.
ज़हर नहीं ये अमृत प्याला.
मुर्दे में भी जीवन डाला.
ये जाम साक़ी बड़ा दिलवाला.
ग़म के मारो को इसने पाला.
लबों से इसे तू छू कर देख.
तू भी जीवन जी कर देख.
आगोश में इसके जीने दे.
पहलू में इसके मरने दे
मत रोक मुझे तू पीने दे ंंंंंंंंंंंं
विपिन बंसल