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न जाने क्यों- जीवन के इस सुने पल में न जाने क्यों

Poonam Mishra 23 Aug 2023 गीत समाजिक मां को ऐसा लगता है 9260 0 Hindi :: हिंदी

कभी-कभी न जाने क्यों ?
मन को ऐसा लगता है ।
चांद की शीतल जैसा प्यार तुम्हारा ।
और सागर की जल सा खारा है।


जीवन के इस सुने पल में
 न जाने क्यों ?
कभी-कभी तुम छुप छुप कर मिलने आ जाती हो।
 जैसे कोई   जुगनू चमके 
जीवन के इस अंधियारे पल में



जब जब शाम ढलती है मैं देखूं चांद सितारे 
न जाने क्यों ?
कभी-कभी दिल यह कहता है तुम तो चांद से प्यारे!


न जाने क्यों ?
कुछ पल रुक कर मैं सोचूं 
तुमको हर पल !
कुछ यादें मुझे परेशान करती है
 क्या ?
यह यादें कर देगी मुझको पागल।

रजनीगंधा के फूलों से महके 
प्यार तुम्हारा ।
कभी-कभी मुझे ऐसा 
लगता है मेरा संसार तुम्हारा


स्वरचित लेखिका पूनम मिश्रा

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