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हे बादल! अब तो बरसो भू - गर्भ में सुप्त अंकुर क्षीण अनाशक्त, दैन्य-जड़ित अपलक नत-नयन चेतन मन है, शांत। नीर प्लावन ला एक़ बार देख प्रकोप ह read more >>
शीला जी आज सुबह से बहुत परेशान थी।उनके मन मे उधेडबुन चल रही थीकि वह क्या करेंगी? जिस सम्मान के लिए वह बड़े बेटे -बहू का घर छोड़कर चली आई। read more >>
अपनी आबरू का घूंघट तुझे हमनें बनाया है नाम तेरा तब से सुर्खियों में छाया है।। अरे,अब हमने तुझको दीवाना सच, में अपना बना के दिखाया है।। read more >>
जग सार जान नींद से जागा, जगत रचा जगतार को जाना, ये सकल जीव जगत एक जान के... ये सकल जगत ब्रह्म मय जाना।।।। -मोती read more >>
कहीं पे तुम और कहीं पे हम हैं दिलों के फासले न हुआ कभी कम है शायद हम कभी मिलें भी नहीं दिल की इए चाहत तो लगता जैसे भ्रम है। read more >>
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