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रस्म उल्फत की यह एक गुना में हर बार करूं। तू यूं ही सामने बैठ रहे और मैं तेरा दीदार करूं। लोग यूं ही समझते रहे बेवफा मुझको हरदम। तू मिल read more >>
"विदा करो" "अब मैं मौत के काफी नज़दीक आ चुका हूँ,साँसें कुछ गिनती की बची हुई हैं,लोगों की उम्मीद अभी-भी बाकी है,मेरे फिर से जिउठ्ने की,मगर read more >>
कहीं पे तुम और कहीं पे हम हैं दिलों के फासले न हुआ कभी कम है शायद हम कभी मिलें भी नहीं दिल की इए चाहत तो लगता जैसे भ्रम है। read more >>
अपनी आबरू का घूंघट तुझे हमनें बनाया है नाम तेरा तब से सुर्खियों में छाया है।। अरे,अब हमने तुझको दीवाना सच, में अपना बना के दिखाया है।। read more >>
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