सब कुछ होता है अच्छे के लिए, ये सुनते सुनते कान पक गए,
एक बदले की आग को अब हृदय में जलाना चाहिए।
चलते चलते हम हैं थक चुके,
अब अंबेडकर जैसा read more >>
धीरे धीरे ही सही हृदय में आग सी जल तो रही है,
धीरे धीरे ही सही किताबे पढ़ते हुए रात ढल तो रही है,
धीरे धीरे अब ये फसल गल तो रही है,
धीरे धीर read more >>