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Tulasi Seth

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@ tulasi-seth-77
, Odisha

I am a housewife and I love to read and write

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My Articles

कहीं पे तुम और कहीं पे हम हैं दिलों के फासले न हुआ कभी कम है शायद हम कभी मिलें भी नहीं दिल की इए चाहत तो लगता जैसे भ्रम है। read more >>
तरसते हैं आंखें इक दरस को उनके ना जाने वो दिन फिर आए के नहीं इस उम्मीद में सफर चले जा रहें हैं शायद वो इक दिन मिलेंगे तो कहीं । read more >>
सारे धाम की तिरथ कर लो ना आएगा कुछ भी काम माता पिता के चरण जो सेवे वह ही पुण्य सतकाम। read more >>
वो लोग अक्सर बहुत व्यस्त रहते हैं जिनके फिक्र में कोई और तरसता रहता है। read more >>
आज कल लोगों की नजर अपनी ग़लतीयों को सुधारने में कम और दुसरों की अच्छाईयों को टेढ़ी तरह से देखने में ज्यादा खराब हो रही है। read more >>
बड़े नसीब से ऐसे दोस्त मिलते हैं जिन्हें लाख बार भी पुकारो सुनते नहीं हैं और अपनी जरुरत पड़ने पर धड़ाम से हाजिर हो जातें हैं। read more >>
तुम्हारी बेरूखी न होती, तो, शायद तुम्हारी चाहत न होती हमें बर्बाद करके भी सुकुन जो देते ऐसे हसीन इए जज़्बात न होती। read more >>
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