संदीप कुमार सिंह 06 May 2024 कविताएँ समाजिक मेरी य़ह कविता भी आप लोगों को बहुत पसंद आएगी. 2139 0 Hindi :: हिंदी
रण भूमि अनुपमा अद्भुत, पक्ष विपक्ष दोनों भाई भाई । रिश्ते नाते मोह बंधन, जीवन प्रभा अथाह अकुलाई । कर कंपन कदम अविचल, पर सुन कर्म चेतना शुद्ध स्वर । हे पार्थ, गांडीव उठा और युद्ध कर ।। परम सौभाग्य संग्राम काल, प्रतीक्षारत दिव्य स्वर्ग द्वार । पटाक्षेप मूल उर वेदना, विस्मृत विगत प्रेम दुलार । अनुभूत योद्धा विराट छवि, दूर कर सारे अंतर्द्वंद असर । हे पार्थ, गांडीव उठा और युद्ध कर ।। अधर्म अनैतिकता अवसान, रण बांकुरी दृढ़ प्रतिज्ञा । सत्य नित विजय भव, युद्ध विमुखता कर्तव्य अवज्ञा । संकलित अनंत शौर्य ओज, विजय अधर्म मार्ग अवरूद्ध पर । हे पार्थ, गांडीव उठा और युद्ध कर ।। निष्काम कर्म प्रेरणा पुंज, परिणाम चिंता भाव गौण । सहर्ष निर्वहन युद्ध संहिता , पाप विनाश ध्येय कोण । बाण चला शत्रु दल पर, कर धर्म रक्षा हित अनिरुद्ध समर । हे पार्थ, गांडीव उठा और युद्ध कर ।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....