AJAY ANAND 08 Apr 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत दुविधा जो है मेरे अंदर, प्रेम, गहराइयों, नासमझ, नादानियां, टूट चुके हैं अब दिल अपनों से 7559 0 Hindi :: हिंदी
दुविधा जो है मेरे अंदर, किसी और को बतलाना क्या..?? मेरे मन के गहराइयों को जो भांप ना सके, पल पल उसे समझाना क्या..?? टुक चुके हैं अब दिल अपनों से, ग़म के समुद्र में मुस्कुराना क्या..?? थी एक, जिसे अपने दिल की बात बतलाता था, ना समझ थी वह , समझ ना सकी , उसे समझाना क्या..?? अजय आनंद सुल्तानगंज,भागलपुर,बिहार WhatsApp - 8309024238