
Santoshi devi
मैं एक कवियत्री हूँ। साहित्य में मेरी रुचि है।
Ward no.8 indraprasth colony syam marg bus dipo ke pichhe shahpura jaipur
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पथिक
पथिक
तुम सृजन पथ के पथिक,
फागुन
फागुन
रंग बसन्ती रंग में,
महोब्बत
महोब्बत
कल्पनाओं में सफर स
लालसा
लालसा
पोषी दूनी लालसा,दू
परोपकार
परोपकार
विषय-परोपकार दूजे
निशा
निशा
भूख में बासा भात , स
मतदान
मतदान
लोकतंत्र का है उत्
भूख
भूख
टीन टप्पर की वह बस्
सीरत
सीरत
उभरते हैं सीरत के द
पथिक
पथिक
तुम सृजन पथ के पथिक,
अहसास
अहसास
तुम होते हो पास मेर
सोच
सोच
उजड़ गई बस्तियां बह
पिता
पिता
पिता शीर्षक-पिता
माँ
माँ
तुम सा बढ़कर ओर नहीं
माँ
माँ
अंतरराष्ट्रीय मात
माँ
माँ
माँ तेरे आँचल की छा
अंधविश्वास
अंधविश्वास
फेर अंधविश्वास का,
फागुन
फागुन
रंग बसन्ती रंग में,
दिन
दिन
गुजर सकेंगे हर दिन
दिन
दिन
गुजर सकेंगे हर दिन
पापा
पापा
ममता दुखदायी न हो।
दोस्ती
दोस्ती
याद रहे यह हरदम सबक