Sudha Chaudhary 08 May 2023 कविताएँ अन्य 5193 0 Hindi :: हिंदी
कह रहा है मौन मेरा है यही आगाज कितने पन्नों पर मिटेगा विकल हदय का साथ। हो तरंगित तरल से मिट जाएगा हास कब तलक यूं बैठकर गाएंगे ऐ राग । हाशिए पर जो खड़े चुन रहे साख क्या बचा शेष है जो कह रहे हैं आप। है कथन का मूल्य इतना जितना क्षणिक आभास बादलों का रुक रुक बरसना है हृदय हर्षित आज। सुधा चौधरी