मारूफ आलम

मारूफ आलम

मारूफ आलम, शायर हैं जो गजल नज्म लिखते हैं विभिन्न बेबसाइट पर इनकी शायरी का प्रकाशन होता रहता है ये उत्तर प्रदेश के जिला रामपुर के छोटे से गाँव सनकरा के मूल निवासी हैं इन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई जिला रामपुर मे ही की है पोस्ट ग्रेजुएशन मुरादाबाद टी एम यू युनिवर्सिटी से किया है पत्रकारिता की पढ़ाई की है इनकी गजलें गूगल पर पढ़ी जा सकती हैं साथ ही इनकी ई पुस्तकें, सजायाफ्ता लोग,उजले शहर,कारवां वाले अमेजन. काम से डाउनलोड कर सकते हैं

village, Sankara post Narkhera tehsil bilaspur district rampur pin code 244901(UP)

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Recent Articles


gareeb tha fakeer tha kalandar tha bo
gareeb tha fakeer tha kalandar tha bo

गरीब था फकीर था कलन

rone k din wapas aa gaye kiya
rone k din wapas aa gaye kiya

रोने के दिन वापस आ

क्योंकि वो अनमोल होते हैं
क्योंकि वो अनमोल होते हैं

मैं नही चाहता कि मु

ना नक्सली हैं ना माओवादी हैं
ना नक्सली हैं ना माओवादी हैं

ना नक्सली हैं ना मा

तूफान फिर लौटकर आयेगा
तूफान फिर लौटकर आयेगा

हजारों महानगर बसाय

चमड़े तक उधेड़ दिये
चमड़े तक उधेड़ दिये

जंगल पर राज करने वा

तेरे खावों ख्यालों की दुनियाँ हूँ मैं
तेरे खावों ख्यालों की दुनियाँ हूँ मैं

तेरे खावों ख्यालों

दलाली का स्तर कितना ऊंचा है
दलाली का स्तर कितना ऊंचा है

तुम देते हो गाली तु

Kastiyon k samundar me utar jane k bad
Kastiyon k samundar me utar jane k bad

कश्तियों के समुंदर

कौन हमेशा के लियें कागज की स्याही बनेगा
कौन हमेशा के लियें कागज की स्याही बनेगा

सच्चाई की कलम,हक की

कब्र के अंधेरों मे गलता रहा इंसान
कब्र के अंधेरों मे गलता रहा इंसान

गुनाहों की गौद मे

तूने जो कही थी मन मे वो बात दबी है अबतक
तूने जो कही थी मन मे वो बात दबी है अबतक

तूने जो कही थी मन मे

us nanhe munne parinde me bhi jan thi e dost
us nanhe munne parinde me bhi jan thi e dost

उसकी भी जिंदगी थी प

रोने के दिन वापस आ गए क्या
रोने के दिन वापस आ गए क्या

रोने के दिन वापस आ

parwat k sine ko do fad kar do tum
parwat k sine ko do fad kar do tum

शेर की तरह बुंलद दह

जब नफरत बांटनी हो पूरी पूरी बांट दोगे
जब नफरत बांटनी हो पूरी पूरी बांट दोगे

मुहब्बत के इस आंगन

सवाल मर नही जायेगा
सवाल मर नही जायेगा

मस्जिदों को ढहाने

और बाकी हिरन तमाशा देखते हैं
और बाकी हिरन तमाशा देखते हैं

जब मुझ पर जुल्म हुआ

मैं फिलीस्तीन हूँ सियासत मे जलता हूँ
मैं फिलीस्तीन हूँ सियासत मे जलता हूँ

जालिमों की हिरासत

तेरा ये रोना और रो रो कर फलक पे नजर करना
तेरा ये रोना और रो रो कर फलक पे नजर करना

जिल्लतों से राब्ता

जैसे कि तुम मुहाज़िर हो कोई
जैसे कि तुम मुहाज़िर हो कोई

वो तुम्हें धितकारत

उजाले लापता हैं और कोई गवाह नही है
उजाले लापता हैं और कोई गवाह नही है

बियाबान है जंगल यह

har aadmi gungan Or behra ho jata h
har aadmi gungan Or behra ho jata h

जुबां पे सत्ता का ज

आदतों से सुधरा तो सुधरता गया वो
आदतों से सुधरा तो सुधरता गया वो

आदतों से सुधरा तो स

हम आदिवासी जंगल को खूब समझते है
हम आदिवासी जंगल को खूब समझते है

तेरे पैंतरे को तेर

लापता काफिलों की एक कश्ती को किनारों से
लापता काफिलों की एक कश्ती को किनारों से

लापता काफिलों की ए

बातों ही बातों मे बात कजा हो जाऐगी
बातों ही बातों मे बात कजा हो जाऐगी

बातों ही बातों मे ब

ये टीस हमे चुभती है ये बात हमे काटती है
ये टीस हमे चुभती है ये बात हमे काटती है

लफ्ज़ चुभते हैं,जु

अपनी सदाकत के अरकान नही मरने दिए
अपनी सदाकत के अरकान नही मरने दिए

अपनी सदाकत के अरका

दबी हुई हैं कई तहरीरें हमारी बस्तर के थानों मे
दबी हुई हैं कई तहरीरें हमारी बस्तर के थानों मे

दबी हुई हैं कई तहरी

na Kuch paya na kuch khoya dagar me
na Kuch paya na kuch khoya dagar me

ना कुछ पाया ना कुछ ख

अंडे दिए हैं शायद दड़बों मे बटेरों ने
अंडे दिए हैं शायद दड़बों मे बटेरों ने

दायरा समेट लिया चु

muhabat k mare hum wha bhi the yha bhi hain
muhabat k mare hum wha bhi the yha bhi hain

मुहब्बत के मारे हम

had se bekabu hota hua parinda
had se bekabu hota hua parinda

हद से बेकाबू होता ह

gareeb tha fakeer tha kalandar tha bo
gareeb tha fakeer tha kalandar tha bo

गरीब था फकीर था कलन

Aasmaan sar pe utha lo magar Ahatram k sath
Aasmaan sar pe utha lo magar Ahatram k sath

मुद्दा कोई भी उछाल

ek Rahsmiya duniya ka khyal man me pale huye
ek Rahsmiya duniya ka khyal man me pale huye

एक रहस्मय दुनियाँ

जमीं को थामे रखता हूँ तो हाथों से सितारे जाते हैं
जमीं को थामे रखता हूँ तो हाथों से सितारे जाते हैं

गली गली हथकड़ियों

उजालों से अंधेरों मे बदल गए लोग
उजालों से अंधेरों मे बदल गए लोग

उजालों से अंधेरों

पंसद नही हैं अगर तो भुला दे हमको
पंसद नही हैं अगर तो भुला दे हमको

पंसद नही हैं अगर तो

कुरान दुनियाँ की हर एक जुबान तक पहुंचे
कुरान दुनियाँ की हर एक जुबान तक पहुंचे

यमन,कुवैत,कतर ना सि

मरते बस इंसान हैं
मरते बस इंसान हैं

बम नही मरते,तोपें न

इंसानों के खूंखार चेहरों से डरते हैं अब
इंसानों के खूंखार चेहरों से डरते हैं अब

इंसानों के खूंखार

लिचिंग
लिचिंग

वो भीड़ राम के नारे

जिस्म थे,नुमाइश थी,दिखावट थी सब ओर
जिस्म थे,नुमाइश थी,दिखावट थी सब ओर

जिस्म थे नुमाइश थी

ibaadaton ki duniya me khoya ho jaise
ibaadaton ki duniya me khoya ho jaise

इबादतों की दुनियाँ

(आदिवासी)
(आदिवासी)

तुम रहते हो सदियों

Sare aaina juda rha koi
Sare aaina juda rha koi

सरे आईना जुदा रहा क

खुश्क लबों की प्यास ही रहूंगा
खुश्क लबों की प्यास ही रहूंगा

खुश्क लबों की प्या

subho sham haathon ko hasrat se malte ho
subho sham haathon ko hasrat se malte ho

सुबहों शाम हाथों क

बंजर करके छोड़ेगा
बंजर करके छोड़ेगा

और कितना बवंडर करक

aaino par dag ki sifarish na kar
aaino par dag ki sifarish na kar

आईनों पर दाग की सिफ

रुपया क्यों सस्ता है अब भी दिनार से
रुपया क्यों सस्ता है अब भी दिनार से

हल्की फुल्की पतली

उसे देखकर आखिर क्यों मचल जाता
उसे देखकर आखिर क्यों मचल जाता

उसे देखकर आखिर क्य

कौन करे इस मसले मे बात हमारे मन की
कौन करे इस मसले मे बात हमारे मन की

कौन करे इस मसले मे ब

rooh kabj kro,hatheli par jan ko utaro
rooh kabj kro,hatheli par jan ko utaro

रूह कब्ज करो,हथेली

बहुत खलता है जब छोड़ना पड़ता है
बहुत खलता है जब छोड़ना पड़ता है

बहुत खलता है जब छोड

वो कोई दरवेश या कलंदर है तो मैं क्या करूँ
वो कोई दरवेश या कलंदर है तो मैं क्या करूँ

जितना बाहर उतना अं

लोग कहते हैं सैकड़ो मुल्क हैं तुम्हारे
लोग कहते हैं सैकड़ो मुल्क हैं तुम्हारे

लोग कहते हैं कि सै

ye batao chand taro par kiya likha jayega
ye batao chand taro par kiya likha jayega

बेनूरी है अब नजारो

हक दोस्ती का अदा रिश्तों की तरह कर
हक दोस्ती का अदा रिश्तों की तरह कर

हक दोस्ती का अदा रि

na mein darpan hu na tum darpan ho e dost
na mein darpan hu na tum darpan ho e dost

ना मैं दर्पण हूँ ना