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नमो नमो शीव हरे हरे 02

Amit Kumar prasad 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक This poem is on the base of Lord Rama and their great work of achievement and Lord Shiv and their 11th incarnation of marcy. I hopes that every reader will be give love of my this poem as before. 15615 0 Hindi :: हिंदी

समर विशोनित सूर्यवंश, 
भगिरथ के वंश मे जन्म लिए, 
दशरथ नंदन श्री राम चन्द्र, 
रघू कूल के रीत के पालक थे!! 
                 रावण मृत्यू पश्चात राम को, 
                 ब्राह्मण हत्या का  पाप लगा! 
                 रामचन्द्र जी शीव के प्यारे भक्त, 
                 और रावण शीव जी का भक्त बड़ा!! 
ओ जय जय हर भोला, 
शीव हर भोला!
शीव शक्ती रूप मे हनुमान जी, 
ग्यारहवां रूप शीव दानी का!! 
                       रामचन्द्र प्रभू जग उद्धारक, 
                       सिद्ध रिषी के पास चले! 
                       पुछने मार्ग इस मुक्ती का, 
                       श्रद्धा अरपित कर सिमट गए!! 
कहें रिषीवर दिग दिगंत, 
कैलाश से शीव लाना होगा! 
विधवत कर जयोत्रिलींग सथापित, 
उनको पुष्प चढ़ाना होगा!! 
                       रामचन्द्र प्रभू कर श्रद्धा, 
                       हनूमान को भेज दिया! 
                       लाने आदेश सुर्यास्त से पहले, 
                       हनुमान को किए विनय!! 
चल पड़े बजरंगी लेके नाम, 
रामचन्द्र जी जय जय जय! 
पहूंचे समक्ष जब कैलाश पे तब, 
भोले दानी वहां नहीं मिले!! 
                 मन मे भय सगुण बितन का, 
                 करने लगे शीव का ध्यान अचल! 
                 थोड़े वक्त पश्चात वहां शीव आए, 
                 उठा लिए हनुमत लिंग को कंधे पर!! 
ओ जय जय नमो नमो शीव हरे हरे, 
हरता नाम हरण शीव हरे हरे! 
ले पहुंचें हनुमंत शीव रामेश्वरम, 
उस जगह पे पाए उससे पहले!! 
                 मा सिता के हाथ लिंग सथापित था,
                 देख समर प्रभू बजरंगबली का, 
                क्षण मे हृदय टुट गया कहे प्रभु से हृदय कि कथा,
                रघुनंदन जी का ध्यान किया!! 
कहे रघुनंदन सिया दुलारे अंजनी पुत्र बजरंगी से,
गर इच्छा हो तो उखाड़ के अपना शीव बिठा दो तुम! 
सुन आदेश बजरंग बली ने बाहुबल को लगा डाला, 
स्थापित लिंग हिला भी नही फिर पुंछो से लपेट बल डाल दिए!! 
                   ओ जय जय नमो नमो शीव हरे हरे, 
                   फिर भी न हिला वो ज्योत्रिलींग! 
                   शुन्य होने लगी देह बजरंगी का, 
                   कूछ वक्त धरा पर बिखर गऐ!! 
रक्त बहे हनुमत जी का, 
ये देख के माता व्याकुल हो! 
देह पे हाथ फेरन लगी, 
ले ले के नाम शीव शंकर का!!
     रोवन लगे माता जानकी, 
     जय नमो नमो शीव हरे हरे! 
     कुछ छण उठे राम के प्यारे भक्त, 
     और राम समक्ष शीव महीमा गुण गाण किया!! 
उस लिंग समक्ष कर द्विज लिंग स्थापीत, 
विधिवत शीव का ध्यान किया! 
जय जय नमो नमो शीव हरे हरे, 
शीव ही विनाशक शीव हैं पालक!! 
                    हनुमान जी जय जय जय, 
                    रामेशवरम शीव अलक निरंजन! 
                    माता जानकी कर्म विजय, 
                   ओ जय जय हरी ओम नम: शीव
                    अजय विजय!! 
करता हु नमन मै महा देव, 
और कर्म तपो बल धरता हुं! 
चरणो मे नमन है लिलाधर की, 
नमो नमो शीव हरे हरे!! 

Poet : - Amit Kumar Prasad

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