Sudha Chaudhary 13 Jul 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 7755 1 5 Hindi :: हिंदी
तुमसे दूर हो कुछ भाता नहीं है। झिलमिल दिए बुझने लगे हैं मन में दीया जगमगाता नहीं है। कैसे मधुप ने नई राह चुन ली मुझमें धैर्य अब समाता नहीं है। पुकारो कहीं से भी खड़ी हूं वही पर कि तुमसे मेरा प्रेम भुलावा नहीं है। दिन , दोपहर, गोधूलि भी हुई रैन भी एक क्षण स्थिर नहीं है आश की डाल पर कब तक बैठे कि वो अमराईयां मंजरिया नहीं है नैनों में इच्छा दरस की कानों में बाणी मधुर चाहिए क्यों यह पिपासा मन में जगी है तुमसे दूर इच्छा प्रबल हो गई है हमसे कहा अब कुछ जाता नहीं है हंसने हंसाने को सब कुछ यहां है किन्तु जीवन बसन्त तुमसे है मेरा कोई बसन्त भाता नहीं है। सुधा चौधरी बस्ती