virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख राजनितिक सत्ता 90496 3 5 Hindi :: हिंदी
सत्ता की मदांधता केंद्रीयमंत्री नारायण राणे को उसके घर से खाना खाते वक्त गिरफ्तार करवाना और विभिन्न थानों में प्राथमिकी दर्ज करवाना; वह भी एक ऐसे बयान के लिए, जैसा बयान उसके मुखिया ने स्वयं उप्र के मुख्यमंत्री के लिए उप्र में दिया था, खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे को चरितार्थ कर रहा है। यही नहीं, महाराष्ट्र सरकार चाहे लाख सफाई दे दे, पर यह सत्ता की मदांधता ही है कि करीब एक साल पहले एक अभिनेत्री की साफगोई से चिढ़कर उसके आशियाने को मटियामेट कर दिया। वह भी उस मुंबई में जिसमें बीएमसी के अनुसार, हजारों लोग अतिक्रामक हैं और सैकड़ों भवन जर्जर होकर धराशाही होने के कगार पर हैं, जिन्हें केवल नोटिस देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ लिया गया। उन्हें अतिक्रमणकारियों पर बुलडोजर चलवाने का इतना ही शौक है, तो उन्हें उन सब पर बेरहमी से चलवाना चाहिए, जो बरसों से सरकारी जमीन पर कुंडली मारे बैठे हुए हैं और सत्तासीनों को मुंह चिढ़ा रहे हैं। महाराष्ट्र के नेता प्रतिपक्ष का भी यही कहना है। बाकी को केवल नोटिस, पर कंगना की इमारत पर कार्रवाई, यह तो मनमानी है। सवाल यह भी कि मुंबई बमब्लास्ट का गुनेहगार दाऊद इब्राहिम का घर तोड़ने में उन्हें नानी क्यों याद आ रही है? यह कृत्य सरकार के सेहत के लिए नुकसानदेह है। इसकी आलोचना महाराष्ट्र में सरकार चलानेवाले घटक दल राकापां के मुखिया शरद पवार ने भी की है। ऐसा ही बयान कांगे्रस के संजय निरुपम की ओर से भी आया है। एनडीए तो मौके की तलाश में थी ही, उसे बैठे-ठाले सरकार को घेरने का मौका मिल गया है। सुशांत सिंह राजपूत का मामला हत्या है या आत्महत्या; यह तो सीबीआई की मुकम्मल जांच से सामने आएगा, लेकिन सही ढंग से जांच न करने के लिए मुंबई पुलिस की आलोचना करना, किसी दृष्टि से अलोकतांत्रिक नहीं है। कंगना रनोत यही करी है, जिसके खामियाजे के रूप में उसे महाराष्ट्र सरकार का कोपभाजन बनना पड़ा है। यही नहीं, सत्ता के मद में चूर सत्ताधीश उसका ‘मुंह तोड़ने’, मुंबई में ‘घुसने नहीं देने’ की घमकियां दे रहे हैं। शिवसेना के मुखपत्र सामना में ‘उखाड़ दिया’ छापा गया है। लेकिन, हैरत की बात है कि आमतौर पर महिला अधिकारों की बात करनेवाले फेमिनिस्ट खामोश हैं? क्या उन्हें कंगना रनोत के मामले में ‘स्त्री की अस्मिता’ खतरे में पड़ती नहीं दिख रही है? उन्हें ‘रिया चक्रवर्ती’ पर तो तरस आ रहा है, परंतु ‘कंगना रनौत’ कांटों की तरह इसलिए चुभ रही है; क्योंकि वह उनके एजेंडे में फिट नहीं बैठ रही है। इसपर स्वाभाविक रूप से कंगना रनौत बिफरकर बयान दी है, ‘‘आओ उद्धव ठाकरे और करण जौहर गैंग तुमने मेरे कार्यस्थल को तोड़ दिया। अब घर तोड़ो, फिर चेहरा। मैं चाहती हूं कि दुनिया देखे कि तुम वैसे भी और क्या कर सकते हो? चाहे मैं जीऊं या मर जाऊं! मैं तुम्हें बेनकाब कर दूंगी। मेरा कार्यालय इमारत नहीं, राममंदिर है। आज वहां बाबर आया है। राममंदिर फिर टूटेगा, मगर याद रख बाबर, यह मंदिर फिर बनेगा। रानी लक्ष्मीबाई के साहस, शौर्य और बलिदान को फिल्म के जरिए मैंने जिया है। मैं रानी लक्ष्मीबाई के पदचिन्हों पर चलूंगी। न डरूंगी, न झूकूंगी। जय हिंद। जय महाराष्ट्र।’’ कंगना रनोट को फिल्म इंडस्ट्री से अनुपम खेर, रेणुका शहाणे, अंकिता लोखंडे, विवेक अग्निहोत्री, सोनल चैहान, दिया मिर्जा जैसे सितारों का साथ मिला है। अनुपम खेर ने ट्विट कर कहा है,‘‘इसे बुलडोजर नहीं, बुलीडोजर कहते हैं। किसी का घरौंदा बेरहमी से तोड़ना गलत है। इसका प्रहार कंगना के घर पर नहीं, मंुबई की जमीर पर हुआ है।’’ कंगना रनौत ने कांग्रेसाध्यक्ष को भी आड़े हाथ लेते हुए ट्वीट किया है,‘‘आदरणीय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधीजी! क्या एक महिला होने के नाते महाराष्ट्र में आपकी सरकार के द्वारा मेरे साथ हो रहे बर्ताव पर आपको तकलीफ नहीं हुई? क्या आप अपनी पार्टी से आग्रह नहीं कर सकतीं कि वह संविधान के सिद्धांतों को बनाए रखें, जो हमें डा. अम्बेडकर ने दिए थे? आप पश्चिम में पली-बढ़ी हैं। भारत में रहती हैं। आप महिलाओं के संघर्ष से अवगत होंगी। आपकी चुप्पी और उपेक्षा को इतिहास जज करेगा।’’ सवाल यह भी कि फिल्म जगत के बाकी लोग चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? क्या वे मानकर चल रहे हैं कि जल में रहकर मगरमच्छ से बैर मोल लेना खतरे से खाली नहीं है? यदि वे ऐसा सोचकर सावधानी बरत रहे हैं, तो यह उनकी समझदारी नहीं, नासमझी ही कही जाएगी। जबकि ‘मणिकर्णिका’ की ललकार से सरकार हिल गई है। वह अब अपना स्टैंड बदल चुकी है कि इस मामले से उसका कोई लेना-देना नहीं है। --00-- अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर ‘‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला veerendra kumar dewangan से सर्च कर या पाकेट नावेल के हिस्टोरिकल में क्लिक कर और उसके चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर कर लेखक को प्रोत्साहित किया जा सकता है। आपके सहयोग की प्रतीक्षा रहेगी।
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