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चाहे जैसा हाल करो-चाहे जितना आघात करो

Sudha Chaudhary 11 Jul 2023 कविताएँ अन्य 6144 0 Hindi :: हिंदी

मेरे प्रचलित मंतव्यो पर
चाहे जितना घात करो
वही रहेंगे सोच विचार
चाहे जितना आघात करो।

तरह-तरह के भेद सुना कर
तुम भूल गए हम क्या थे
मोह का धार बना कर
चाहे जितना वार करो।

रहा समर्पित प्रतिक्षण मुखरित
कुटुंब तुम्हारे मन का होगा
आवाजों में सेंध लगी 
क्या विचलित यह तन होगा
सूनी पड़ी तुम्हारी दुनिया
चाहे जैसा हाल करो।


सुधा चौधरी
बस्ती

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