Sanam kumari Shivani 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 87918 0 Hindi :: हिंदी
कहीं जिद पूरी कही जरूरत भी अधुरी कहीं सुगंध भी नहीं कहीं पूरा जीवन कस्तूरी इसी का नाम है जिंदगी लिखना था कि खुश हैं तेरे बगैर भी यहां हम मगर कमबख्त आंसु है कि कलम से पहले ही चल दिए पैसा उतना ही जरूरी है जितना कार में पेट्रोल न कम न ज्यादा कुछ लोग किस्मत की तरह होते हैं जो दुआ से मिलते हैं और कुछ लोग दुआ की तरह होते हैं जो किस्मत बदल देते हैं पानी मर्यादा तोरे तो विनाश बानी मर्यादा तोरे तो सर्वनाश एक उड़ते हुए गुब्बारों पे क्या खूब लिखा था वो जो बाहर हैं वह नही वह जो भीतर है वहीं उसे ऊपर तक ले जाता हैं किसी भी मुश्किल का अब हल नहीं मिलता सायद अब घर से कोई मां के पाव छू कर नहीं निकलता मां और बीबी दोनों को हमेशा बेपनाह मोहब्बत और इज्जत दो क्योंकि एक तुम्हें इस दुनिया में लाई है दूसरी सारी दुनिया छोड़कर तुम्हारे पास आई है अधिक सीधा साधा होना भी अच्छा नहीं है क्योंकि सीधे वृक्ष पहले ही काट दिए जाते हैं और टेढ़े मेढे बच जाते हैं दुनियां कहती हैं जमाना 4जीबी हो गया है में नहीं मानती अगर किसी से कुछ सीखना है तो शिष्य बनकर सीखो गुरु बनकर नही अभी हमे भी जमाना से बहुत कुछ सीखना है। Art by -- नाम सनम कुमारी शिवानी