Poonam Mishra 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मन इधर उधर भटक रहा है 81009 0 Hindi :: हिंदी
इधर-उधर मन डोल रहा है क्यों भटक रहा है एक पल में कह दो इस पगले मन से क्यु ना झाके अपने ही मन में कभी मन सोचे उड़ जाऊं मैं पंछी बनकर अंबर में अगले ही पल फिर यह सोचे क्या रखा है अंबर में इधर-उधर मन डोल रहा है क्यू ना झाके अपने मन में रचित लेखिका पूनम मिश्रा