मोती लाल साहु 18 Dec 2023 शायरी अन्य ये सुख-दुख हैं दो किनारे, साथी रे चल मंज़िल को 9421 0 Hindi :: हिंदी
"हंसते-हंसते रोना, रोते-रोते ए-हंसना, ये सुख-दुख हैं दो किनारे,, साथी रे चल मंज़िल को!!" -मोती
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