Jyoti yadav 17 Sep 2023 गीत समाजिक नकाब खुशियों का चेहरों पर लगाई 8377 0 Hindi :: हिंदी
नकाब खुशियों का चेहरों पर लगाई हर ग़म दर्द खुद ही खुद से छुपाई जन्नत की चाहत में धरती तक आई पर अफसोस यहां तो जहन्नुम ही पाई है 😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭 अब ना ख्वाहिश रही हंसने की ना लालसा कुछ पाने की एक फर्ज मिला है हमको बारी है उसे निभाने की 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 अंधेरी काली रात हो या खुबसूरत सवेरा अपना क्या इन होंठों पर मुस्कान और मन में दुखों का डेरा 🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗 मुट्ठी बांधे आई थी हाथ पसारे चली जाऊंगी मैं बेटी हूं ना बस इतनी ही मेरी कमाई थी 🫀🫀🫀🫀🫀🫀🫀🫀🫀 ना जाने कब तक चलेगा यह खेल अनोखा क्या देखने आई थी और क्या देखा 💯💯💯💯💯💯💯💯 सांसें तो चलती है पर जिंदगी अधुरी है ख्वाहिश तो सबने पाल रखी पर कहां किसी की पुरी है ♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️ कब तक यूं ही चलता रहेगा यह सिलसिला बंद कर दें यह खेल खुदा मंजरी बहुत तूने दिखाई नकाब खुशियों का चेहरों पर लगाई हर ग़म दर्द खुद ही खुद से छुपाई 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 ज्योति यादव के कलम से ✍️ कोटिसा विक्रमपुर सैदपुर गाजीपुर 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏