DIGVIJAY NATH DUBEY 26 May 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #दिग्दर्शन 7286 0 Hindi :: हिंदी
ये जो जीवन चलता है तेरे ही खातिर तो है दिल मे धक धक होता है तेरे ही खातिर तो है दूर जो होता है तू तो बेजान वो रातें लगती हैं पास भी जब भी आते तो हर रोज बहारें दिखती हैं क्या हुआ मुझे यह नही पता पागल सा दिल कुछ लगता है जो याद में तेरे हर एक पल इश्क के ताने सुनता है जब बारिश की बूदें अक्सर मिट्टी में आकर मिलती हैं ऐसे ही ये पगली अक्सर सपनो में तुझसे मिलती है क्या तुमको भी मेरा मिलना तरसन सी हरपल डसती है जो रात के जुगनू के संग में नजरें तारों में बसती हैं तुम जहा भी ही एक बार मिलो अब सहा नही जाता एक पल चाहे तपती लपटें सूरज की चाहे बादल टूटे हम पर दिग्दर्शन !