Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

पतंग-ऊंचा पहुंच कर अपना रंग दिखलाती है

Saurabh Shukla 01 Oct 2023 कविताएँ बाल-साहित्य #love #साहित्य #संस्कार #कविता #पतंग 5952 0 Hindi :: हिंदी

उड़ने से पहले फड़फड़ाती  है , ऊंचा पहुंच कर अपना रंग दिखलाती है ।

है अगर पकड़ मजबूत साधने वाले की , ढील पाकर ऊंचा और ऊंचा उड़ जाती ।
खुद आसमा में है जब तक , तब तमासबीनों  के लिए तमासा बन जाती है ।।

है डोर में ताकत ,लेकिन खुद मद से चूर हो जाती है ।
जुदा कर किसी को , किसी अपने से आसमान में कलाबाजियां दिखती है ।।

भूल है उसकी , छलावे की है ताकत , झूठा है ये ऊंचाइयों का छूना !
जिस अहम में वो काट रही है अपनो को ,चढ़ती जा रही मंजिल पर मंजिल अपने सपनों  को ।

जितना लोगो को काट रही है , उतना उसकी डोर भी कटती जा रही है ।
ये बात उस आसमा में बैठी, अभिमानी को समझ ना आ रही है ।

बात तो पतंग की कर रहा हूं ,पर न जाने क्यों 
पतंग में भी इंसान की शख्सियत नज़र आ रही है।

अपनो को गिराकर ये भी तो उठता जाता है , 
गिरता ऊंचाई से  , तो किसी अपने को ही संभालता हुआ पता है ।
संभाल तो लेता है वो , पर क्या उसमे पहले जैसा अब अपना पन पता है वो ।

पतंग में देखा जाए कुछ ऐसा ही होता , उड़ती तो आसमा में है दोबारा , पर बीच में कही गांठ पड़ जाती है । ।

...sVs...

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: