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हमें बड़ों का सम्मान और अपना संस्कार नहीं भूलना चाहिए।"परिवेश

Komal Kumari 26 Apr 2023 कहानियाँ समाजिक 9902 1 5 Hindi :: हिंदी

मैं अनामिका आज मैं अपनी सहेली की शादी में गई वहां मुझे खूब मजा आया चारों तरफ खुशियों का नजारा था लोक चारों और इकट्ठा होकर इधर-उधर की बातें कर रहे थे।                
तभी मेरी नजर एक बच्चे पर पड़ी वह बच्चा दौड़ कर अपनी मां के पास आया और कहता है -"मां मेरी जूती खुल गई इसे पहना दो।"
बच्चे की मां उसे जूते पहनाती हैं कि तभी वह बच्चा कहता है-" दादा जी आ रहे हैं से ढक लो।"
तभी उसकी मां कहती हैं -"इतना मेकअप सर ढकने के लिए नहीं की हूं ,तू जा मैं देख लूंगी।"
बच्चे के दादा जी बच्चे के पास आते हैं और बच्चे से पूछते हैं बाबू खाना खा लिया, बच्चा हां बोलता हुआ वहां से चला जाता है।बच्चे के दादा जी अपनी बहू को देखते हैं और मुस्कुराते हुए वहां से चले जाते हैं।
इतने में ही उस औरत की सहेलियां आ जाती है और वह लोग आपस में ही बातें करते हुए एक दूसरे की तारीफ करते हैं। इसी बीच एक औरत कहती हैं, अरे तेरे बाल तो कैसे सफेद दिख रहे हैं, कैसे मेकअप किया है तूने। इतना सुनते ही वह औरत अपनी से ढक लेती है।
संदेश-"इस कहानी से हमें यह संदेश मिलता है कि जमाना बदलने के साथ-साथ लोगों के तौर-तरीके भी बदलने लगे हैं, पर उन तौर-तरीकों के साथ हमें बड़ों का सम्मान और अपना संस्कार नहीं भूलना चाहिए।"

Comments & Reviews

Addy Rathore
Addy Rathore Superb creativity 🙏💐

8 months ago

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