Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम ये देश हैं हमारा 56716 0 Hindi :: हिंदी
ये देश हैं हमारा हम इस के संतान हैं मेरा मुल्क हिदुस्तान हैं न दूसरा हमारा लडेगें अंतिम सांस तक न समझना बेचारा ये सहनशीलता हैं मुझे में मेरी माँ के संस्कार का हम हैं गरीब या आमिर ये मुल्क हैं हमारा कुरुरता के आगे हरगिज न हम झुकेंगे तुम मुठी भर गदार हो क्या बिगाड़ पाओगे जिस दिन फिरा माथा तुम खाख में मिल जाओगे हैं दुनिया भर में छाया मेरे देश का तिरंगा बदल गई हैं घड़ियाँ समझ समय का इसरा जो खुद से था डरता आज विश्ब को डरा रहा तू तो चन्द भर है याद कर जैचंद को हसर बही होगा जो होता हैं गदार का