कविता पेटशाली 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य 84717 0 Hindi :: हिंदी
कलम का आगाज ,कुछ ,इस ,तरह से हुआ,। बोली ,कलम ,कागज ,कहीं ,लहुलुहान ,मुझे ,निहारता, आखिर ,ऐसे ,शब्दों, से ,कहाँ,मेरी ,और तस्वीरें,बनाओगे तुम,। इस ,पटल ,पर ,गर्मजोशी ,में ,बोले ,जाने वाले ,दो ,बोल,। नहीं ,इक ,कविता ,का सौहार्द ,हृदय,नहीं,रच ,पाओगे तुम,। इस्तेहारों,की हर बाज़ी,ने ,भी सीमा ,लादी,है,। खिलकर,चमन ,में,पुष्प ,कैसे ,उग ,आओगे ,तुम,। भाषा,तो ,मेरी ,भूजाऊँ ,के समान,मुझे ,प्रिय है,। पहली ,पाठशाला ,का क्या ,वहीं स्वरुप ,फिर ,से ,मुझे ,दिखाओगे ,तुम,। बहुत,गम्भीर,शब्दों,की चोट लगी,। मारने ,वाले ,का ,हथियार,तो देखो,शब्दों का ,जंजाल तो ,देखो,। सदियों से मौन,इक ,आवेदन ,की ,कागज पर ,खून से,अनबन तो देखो,। हिन्दी ,भी,बोली,। किस ,करवट ,लेटा ,आखिर ,यह ,वक़्त, मुझसे ,ही पहली कक्षा ,में ,जाने वाला,। आखिर ,बड़ी,बड़ी ,उपलब्धियों,की हरकत तो ,देखो,। लौट आओ,फिर ,सरल ,मृदु ,शब्दों के ,,। भाषा,कहती, आखरी , अवतरण हमारा है,।। कविता पेटशाली ✍🏻
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