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वन वाटिका

Anjani pandey (sahab) 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मोहन प्यारे और गोपियां 17144 0 Hindi :: हिंदी

                         "वन-वाटिका"
हरे भरे उपवनो में
 पंछी सुर में गाते है
प्यारे प्यारे फूल खिले है
जंगल में मोहन गैया चराते है।
जब बांसुरी बजाते है मोहन
  सब गाये मदमस्त हो जाती है
गोपियां मानो पागल हो जाती
 भागी भागी जंगल में जाती है।
जब नहाने आती है गोपियां, मोहन छुपकर रास रचाते है
कभी कपड़े छिपाकर रख देते है
  फिर सौंह गोपियों की खाते है।
हे मोहन तू कपड़े दे दे ,माखन तुझे खिलाऊंगी
प्यार से मान जा हे मोहन, वरना मैया से बताऊंगी।
रास में मेरा मोहन तू है ,ब्रज में हर गोपियों का तू है
कभी आ जा मेरे घर भी खाने को
 वृंदावन में हर घर का सहारा तू है।
हे बंशी के बजैया ,हे रास के रचैया
तुम बड़े क्यू हो गए हो, हमे देखना है छोटा सा कन्हैया।
जब तू बंशी बजाता है ,मानो पेड़ भी चलने लगते है
हम गोपियां पागल सी हो जाती
  कदम हमारे तुम्हारी तरफ चलने लगते है।
तू बता कैसे छोड़ जाएगा मैया की गोदी सूनी कैसे
गोपियों को जिंदा मार जायेगा
 मेरे नैन के तारे
हर गोपियों के सहारे ,जय जय हे मोहन प्यारे

            अंजनी पांडेय साहब

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