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वक्त की कद्र

SANTOSH KUMAR BARGORIA 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक इस कविता के माध्यम से कवि लोगों तक यह संदेश पहुंचाना चाहता है कि हमें हमेशा वक्त की कद्र करनी चाहिए यदि आज मैंने भी यदि वक्त रहते वक्त की कद्र की होती तो जीवन के इस पड़ाव पर हमारी जिंदगी भी बेहद आसान होती हमें आज पछताना नहीं पड़ता । 60348 0 Hindi :: हिंदी

   

       वक्त चाहता था हमसे 
       बस वक्त दो घड़ी की 
        गर काश हम दे पाते 
    तो कुछ और ही बात होती ।

       बेहद किया था जाया 
     व्यर्थ हमने भी वक्त यारो 
  गर वक्त रहते ये हम समझ पाते 
   तो कुछ और ही बात होती ।

          ना पड़ता पछताना 
          यूँ बैठकर हमें फिर 
      राह अपनी भी मंजिल की 
       बिलकुल आसान होती ।

          ना होती जिंदगी में 
       इतनी उथल पुथल फिर 
      गर वक्त रहते वक्त की कद्र  
        हम आपने की होती है।

           🙏 धन्यवाद 🙏

                                           संतोष कुमार बरगोरिया 
                                         --------------------------------
                                           (साधारण जनमानस)

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