Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य तरह के रंग 14099 0 Hindi :: हिंदी
तरह तरह के रंग है उसका और बहुरूपी रुप. वो है नैनी वो मिर्ग नैनी आखें है कटार. जुबा तेजधार छुरी बाते बरछी के बार. जब देखू मूड के मुझको छ्नी छ्नी कर दे प्राण. टीका मंगटीका बिन्दिया हार कजरा गजरा सोलह सिंगार . सब के सब टूट पडे मुझ पर बन प्राहार. सुंदरता है ऐसा उस मे सुंदरता सरमाए. नखरा उसकी नको पर और गुश्सा कपार फूलों सा नाजुकता उस मे सच कहु तो बो हैं मेरी जान