Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य थोड़ा तु भी जिद्दी है 13588 0 Hindi :: हिंदी
ये दीप थोड़ा तु जल थोड़ा मै पिघलता हूँ बस इतना रहम करना न तु बुझना न बुझने देना राह बहुत है मूशकिलो भरा कुछ जहरीला कुछ पथरीला बस एक करम करना मुझ पे नजर बनाऐ रखना चरागो सा तु जलना अंगारो सा घघकना लेकिन बस इतना दया करना सुरज सा नही चाद सा चमकना थोड़ा तु भी जिद्दी है थोड़ा मैं भी जिद्दी हूँ देखता ये हैं जिद काहा तक ज़िद्द करता है मंजील तक ले जाता है या बीच मे छोडता है पर मेरी तो ज़िद्द से भी ज़िद्द हैं जिद के जिद पे अड जाने की