Mk Rana 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद 15664 0 Hindi :: हिंदी
सुहाने थे सुहाने ही रहने दे हमें मत तड़पाओ हमें भी दर्द होता है हमारी भी तड़प महशुष कर ना मांगा कुछ तुमसे ना कोई तुमसे बैर हमनें क्या नहीं दिया तुझको तु ना समझ है क्या तुझे समझाऊं मन करता है अपनी अच्छाई गिना दूं हमें मिटाते जा रहे हो दूर फैलाएं पैर खाने को तुझे फल दिया हूं धूप से बचने छाऊं दिया हूं सर सर सर सर हवा बहूं जीवन बनूं तुम्हारे सोने का बिस्तर बना सीने पर तू ना तैर तुम्हारे खेल कूद का जरिया हम हैं हमें जलाकर खाना बनाए बुढ़ापा का लाठी हूं सैया भी हम आखों में आशुं हैं तुम्हारे लिए हम तो तुम हो हम नहीं रहेंगे तो तेरा भी ना खैर